Wednesday, August 19, 2015

Poem - देखा है

सुन्दर कविता जिसके अर्थ काफी गहरे हैं……..


मैंने .. हर रोज .. जमाने को .. रंग बदलते देखा है ….

उम्र के साथ .. जिंदगी को .. ढंग बदलते देखा है .. !!


वो .. जो चलते थे .. तो शेर के चलने का .. होता था गुमान..

उनको भी .. पाँव उठाने के लिए .. सहारे को तरसते देखा है !!


जिनकी .. नजरों की .. चमक देख .. सहम जाते थे लोग ..

उन्ही .. नजरों को .. बरसात .. की तरह ~~ रोते देखा है .. !!


जिनके .. हाथों के .. जरा से .. इशारे से .. टूट जाते थे ..पत्थर ..

उन्ही .. हाथों को .. पत्तों की तरह .. थर थर काँपते देखा है .. !!


जिनकी आवाज़ से कभी .. बिजली के कड़कने का .. होता था भरम ..

उनके .. होठों पर भी .. जबरन .. चुप्पी का ताला .. लगा देखा है .. !!


ये जवानी .. ये ताकत .. ये दौलत ~~ सब कुदरत की .. इनायत है ..

इनके .. रहते हुए भी .. इंसान को ~~ बेजान हुआ देखा है … !!


अपने .. आज पर .. इतना ना .. इतराना ~~ मेरे .. यारों ..

वक्त की धारा में .. अच्छे अच्छों को ~~ मजबूर हुआ देखा है .. !!!


कर सको……तो किसी को खुश करो……दुःख देते ……..तो हजारों को देखा है..



Poem - देखा है

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