Sunday, November 16, 2014

आहिस्ता चल ज़िन्दगी

आहिस्ता चल ज़िन्दगी, अभी कई क़र्ज़ चुकाना बाकी है,

कुछ दर्द मिटाना बाकी है, कुछ फ़र्ज़ निभाना बाकी है;


रफ्तार में तेरे चलने से कुछ रूठ गए, कुछ छुट गए ;

रूठों को मनाना बाकी है, रोतो को हसाना बाकी है ;


कुछ हसरतें अभी अधूरी है, कुछ काम भी और ज़रूरी है ;

ख्वाइशें जो घुट गयी इस दिल में, उनको दफनाना अभी बाकी है ;


कुछ रिश्ते बनके टूट गए, कुछ जुड़ते जुड़ते छूट गए;

उन टूटे-छूटे रिश्तों के ज़ख्मों को मिटाना बाकी है ;


तू आगे चल में आता हु, क्या छोड़ तुजे जी पाऊंगा ?

इन साँसों पर हक है जिनका , उनको समझाना बाकी है ;


आहिस्ता चल जिंदगी , अभी कई क़र्ज़ चुकाना बाकी है ..



आहिस्ता चल ज़िन्दगी

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