Sunday, May 25, 2014

गंगा बहती हो क्यूँ - Ganga Behti Ho Kyon


गंगा बहती हो क्यूँ – Ganga Behti Ho Kyon (Bhupen Hazarika)




Performed By: भूपेन हज़ारिका, कविता कृष्णमूर्ति, हरिहरन, शान


आसामी

बिस्तिर्नो पारोरे, ओखोंक्यो जोनोरे

हाहाकार क्सुनिऊ निशोब्दे निरोबे

बुरहा लुइत तुमि, बुरहा लुइत बुआ कियो?

हिन्दी

विस्तार है अपार, प्रजा दोनों पार

करे हाहाकार निःशब्द सदा

ओ गंगा तुम

ओ गंगा बहती हो क्यूँ?


नैतिकता नष्ट हुई, मानवता भ्रष्ट हुई

निर्लज्ज भाव से बहती हो क्यूँ?

इतिहास की पुकार, करे हुंकार

ओ गंगा की धार

निर्बल जन को

सबल-संग्रामी, समग्रोगामी

बनाती नहीं हो क्यूँ?


अनपढ़ जन अक्षरहिन

अनगीन जन खाद्यविहीन

नेत्रविहीन दिक्षमौन हो क्यूँ?

इतिहास की पुकार…


व्यक्ति रहे व्यक्ति केंद्रित

सकल समाज व्यक्तित्व रहित

निष्प्राण समाज को छोड़ती ना क्यूँ?

इतिहास की पुकार…


रुदस्विनी क्यूँ न रहीं?

तुम निश्चय चितन नहीं

प्राणों में प्रेरणा देती ना क्यूँ?

उनमद अवमी कुरुक्षेत्रग्रमी

गंगे जननी, नव भारत में

भीष्मरूपी सुतसमरजयी जनती नहीं हो क्यूँ?

विस्तार है अपार…
गंगा बहती हो क्यूँ – Ganga Behti Ho Kyon (Bhupen Hazarika)

गंगा बहती हो क्यूँ – Ganga Behti Ho Kyon (Bhupen Hazarika)




गंगा बहती हो क्यूँ - Ganga Behti Ho Kyon

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