Kumar Vishwash – भ्रमर कोई कुमुदिनी पर, मचल बैठा तो हन्गामा
भ्रमर कोई कुमुदिनी पर,
मचल बैठा तो हन्गामा ।
हमारे दिल मे कोई ख्वाब,
पल बैठा तो हन्गामा ।
अभी तक डूब के सुनते थे,
सब किस्सा मोहब्ब्त का ।
मै किस्से को हकीकत मे,
बदल बैठा तो हन्गामा ।
Kumar Vishwash - भ्रमर कोई कुमुदिनी पर, मचल बैठा तो हन्गामा
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