आहिस्ता चल ज़िन्दगी,
अभी कई क़र्ज़ चुकाना बाकी है,
कुछ दर्द मिटाना बाकी है,
कुछ फ़र्ज़ निभाना बाकी है;
रफ्तार में तेरे चलने से
कुछ रूठ गए, कुछ छुट गए ;
रूठों को मनाना बाकी है,
रोतों को हसाना बाकी है ;
कुछ हसरतें अभी अधूरी है,
कुछ काम भी और ज़रूरी है ;
ख्वाइशें जो घुट गयी इस दिल में, उनको दफनाना अभी बाकी है ;
कुछ रिश्ते बनके टूट गए,
कुछ जुड़ते जुड़ते छूट गए;
उन टूटे-छूटे रिश्तों के
ज़ख्मों को मिटाना बाकी है ;
तू आगे चल में आता हुँ,
क्या छोड़ तुजे जी पाऊंगा ?
इन साँसों पर हक है जिनका,
उनको समझाना बाकी है ;
आहिस्ता चल जिंदगी,
अभी कई क़र्ज़ चुकाना बाकी है ।
Poems - आहिस्ता चल ज़िन्दगी